Hariyali Teej Vrat Katha: हैलो दोस्तों! सावन का महीना आते ही चारों तरफ हरियाली छा जाती है, और इस हरियाली के बीच हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है। ये पर्व सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए बेहद खास है। इस साल हरियाली तीज 27 जुलाई 2025 को, रविवार के दिन मनाई जाएगी। सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को होने वाला ये व्रत माता पार्वती और भगवान शिव की भक्ति का प्रतीक है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए ये व्रत रखती हैं, वहीं कुंवारी लड़कियां मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए। आज हम आपको हरियाली तीज की व्रत कथा, पूजा विधि, और इसके महत्व के बारे में आसान भाषा में बताएंगे। तो चलिए, सावन की इस खूबसूरत यात्रा में शामिल हो जाएं!

हरियाली तीज की व्रत कथा
पुराणों में हरियाली तीज की कथा बहुत मशहूर है। कहा जाता है कि ये कथा स्वयं भगवान शिव ने माता पार्वती को सुनाई थी, ताकि उन्हें उनके पिछले जन्म की याद दिलाई जा सके।
शिवजी कहते हैं, “हे पार्वती! बहुत समय पहले की बात है। तुमने मुझे अपने पति के रूप में पाने के लिए हिमालय पर्वत पर कठिन तपस्या की थी। तुमने खाना-पीना छोड़ दिया, सूखे पत्ते चबाकर दिन बिताए, और बारिश, ठंड, या गर्मी की परवाह किए बिना मेरी आराधना की। तुम्हारी इस हालत को देखकर तुम्हारे पिता पर्वतराज बहुत परेशान थे।”
“एक दिन नारदजी तुम्हारे घर आए। जब पर्वतराज ने उनके आने का कारण पूछा, तो नारदजी बोले, ‘मैं भगवान विष्णु के कहने पर आया हूं। वो पार्वती की तपस्या से खुश हैं और उनसे विवाह करना चाहते हैं।’ ये सुनकर पर्वतराज बहुत खुश हुए और बोले कि अगर भगवान विष्णु उनकी बेटी से शादी करना चाहते हैं, तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है। नारदजी ने पर्वतराज की सहमति भगवान विष्णु को दे दी।”
“लेकिन जब तुम्हें ये बात पता चली, तो तुम्हारा मन उदास हो गया। तुमने तो मुझे ही अपने पति के रूप में चुना था। तुमने अपनी सहेली से ये बात साझा की। उसने सुझाव दिया कि वो तुम्हें एक घने जंगल में छुपा देगी, जहां तुम शिवजी की तपस्या कर सको। तुम जंगल में एक गुफा में चली गईं और वहां मेरी भक्ति में लीन हो गईं।”
“तुम्हारे गायब होने से तुम्हारे पिता बहुत चिंतित हुए। उन्होंने तुम्हें ढूंढने के लिए हर जगह खोजबीन की, लेकिन तुम नहीं मिलीं। इस बीच, तुमने भाद्रपद शुक्ल तृतीया के दिन रेत से एक शिवलिंग बनाया और मेरी पूजा की। तुम्हारी भक्ति से खुश होकर मैंने तुम्हारी मनोकामना पूरी की।”
“जब तुम अपने पिता के पास लौटीं, तो तुमने उनसे कहा, ‘पिताजी, मैंने लंबे समय तक शिवजी की तपस्या की है, और उन्होंने मुझे स्वीकार कर लिया है। मैं तभी आपके साथ जाऊंगी, अगर मेरा विवाह शिवजी से होगा।’ पर्वतराज ने तुम्हारी बात मान ली और कुछ समय बाद हमारा विवाह पूरे विधि-विधान से हुआ।”
शिवजी ने आगे कहा, “हे पार्वती! तुमने तृतीया को जो व्रत किया, उसी की वजह से हमारा विवाह हो सका। जो भी स्त्री इस व्रत को पूरी निष्ठा से करती है, उसे मैं मनचाहा फल देता हूं।”
हरियाली तीज की पूजा विधि
हरियाली तीज का व्रत और पूजा बहुत आसान है। अगर आप पहली बार ये व्रत रख रहे हैं, तो इन स्टेप्स को फॉलो करें. स्नान करके साफ कपड़े पहनें। हरे रंग की साड़ी या लहंगा पहनना शुभ माना जाता है। एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। उस पर शिव-पार्वती की मूर्ति या तस्वीर रखें। रोली, चंदन, फूल, धूप, दीप, अक्षत, और मिठाई रखें। केले के पत्ते और मेहंदी भी शामिल करें। सुबह से अन्न और जल त्याग दें। कुछ लोग निर्जला व्रत रखते हैं, लेकिन अगर आप चाहें तो फलाहार ले सकते हैं। शिव-पार्वती चालीसा और हरियाली तीज की कथा का पाठ करें। इसे परिवार के साथ मिलकर पढ़ना अच्छा रहता है।पूजा के अंत में शिव-पार्वती की आरती करें और प्रसाद बांटें। अगले दिन सुबह सूर्योदय के बाद व्रत खोलें। पारण से पहले पूजा करें और फिर भोजन करें।